Ustad Zakir Hussain | अपने तबले की थाप से संगीत जगत पर अपनी छाप छोडने वाले Ustad Zakir Hussain का निधन हो गया है. अब कैसे बोलें वाह उस्ताद वाह! इस सोच मे सभी डुबे है.
Ustad Zakir Hussain कुछ दिनों से चल रहे थे बिमार
भारत मे जब भी तबली की बात चलती है तो सबसे पहली Ustad Zakir Hussain का नाम लिया जाता है.
मशहूर तबलावादक झाकीर हुसेन पिछले कुछ दिनों से बिमार चल रहे थे. अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में उन्हे भरती कराया गया था.
सोमवार को उनके परिवार द्वारा उस्ताद के निधन के बारे मे पुष्टी की गई है.
संगीतकार पिछले दो हफ्ते से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती थे.
परिवार ने की निधन की पुष्टि
वहीं सोमवार सुबह परिवार ने Ustad Zakir Hussain के निधन की पुष्टि कर दी है.
परिवार ने जाकिर की मौत की पुष्टि करते हुए ऑफिशियल स्टेटमेंट भी जारी की है.
परिवार ने खुलासा किया कि उनकी मृत्यु इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से हुई, जो फेफड़ों को प्रभावित करने वाली एक बीमारी है.
इस दरम्यान मशहूर गायक तलत अजीज ने बताया है कि उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन परसों, यानी 14 दिसंबर को ही हो गया था। परिवार ने यह बात छिपाए रखी।
उनके भाई बीती रात अमेरिका के लिए रवाना हुए हैं। वहीं 18 दिसंबर को जाकिर हुसैन को सुपुर्दे-ए-खाक किया जा सकता है।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) क्या है?
जिस बिमारी से Ustad Zakir Hussain का निधन हुआ था इस बिमारी को इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस कहते है.
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है।
इस बिमारी मे आप सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे फेफड़ों में छोटी-छोटी हवा की थैलियों से होते हुए खून में जाता है और फिर यहां से शरीर के सभी अंगों को मिलता है।
लेकिन आईपीएफ होने पर फेफड़ों के भीतर निशान ऊतक बढ़ने लगते हैं।
जिससे सांस लेना मुश्किल होने लगता है। उम्र के साथ ये समस्या और भी खराब होने लगती है।
इससे फेफड़ों के जरिए खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। जिससे आपके शरीर के दूसरे अंग ठीक से काम नहीं कर पाते हैं।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण और इलाज
आपको बता दें इस बिमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस का कोई इलाज नहीं है इसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है।
स्थिति गंभीर होने पर लंग ट्रान्सप्लांट का विकल्प रहेता है। धीरे धीरे फेफड़ों में ऊतक बढ़ने लगते हैं और फेफड़ों में जख्म जैसे हो जाते हैं।
जिसकी वजह से आपको सीने में दर्द या जकड़न, पैर में सूजन, भूख में कमी, गले में खराश, खांसी, थकान महसूस होना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, वजन घटना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
अगर आप किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित हैं तो मुश्किलें और बढ़ने लगती हैं।
Ustad Zakir Hussain के बारी मे यह भी जाने
Ustad Zakir Hussain मशहूर तबला वादक थे. उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर अपनी पहचान बनाई थी.
1951 में उस्ताद अल्लाह रक्खा के घर जन्मे जाकिर बचपन से ही बेहद टैलेंटेड थे.
उन्होंने सात साल की उम्र में ही परफॉर्म करना शुरू कर दिया था. जाकिर हुसैन न सिर्फ एक महान तबला वादक थे बल्कि एक बेहतरीन संगीतकार भी थे.
उन्होंने हीट एंड डस्ट और इन कस्टडी जैसी फिल्मों के लिए म्यूजिक भी दिया था.
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बैले और आर्केस्ट्रा प्रोडक्शन के लिए कुछ मैजिकल कंपोजिशन भी बनाई थीं.
Ustad Zakir Hussain को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए थे किये
Ustad Zakir Hussain का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था।
- 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था।
- उस्ताद को 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला।
- 2024 में उन्होंने 3 अलग-अलग ऐल्बम के लिए 3 ग्रैमी जीते। इस तरह जाकिर हुसैन ने कुल 4 ग्रैमी अवॉर्ड अपने नाम किए।
- जाकिर हुसैन को कई अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
- उन्हें साल 1988 में पद्मश्री से नवाजा गया था. इसके बाद साल 2002 में उन्हें पद्मभूषण.
- साल 2023 में पद्मविभूषण जैसे सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
- हुसैन को 1990 में संगीत के सर्वोच्च सम्मान ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था
- बता दें कि जाकिर हुसैन को ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ एल्बम के लिए 2009 में 51वें ग्रैमी अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया था.
- Ustad Zakir Hussain को 7 बार ग्रैमी पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था जिनमें से उन्हें चार बार इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
Ustad Zakir Hussain की उंगलीया जब तबले परत फिरकती थी तो एक अलग ही माहोल तयार होता था.
उनके द्वारा किये गये अनेक संगीत प्रयोग लोगो के जहान मे हमेशा रहने वाले है.
संगीत क्षेत्र की वह एक महान उपासक थे, अपना पूरा जीवन उन्होने संगीत की प्रती अर्पण किया था.